Friday, December 31, 2010

आजाद भारत में पहली बार स्वाघीनता दिवश के 133 दिन बाद इस लोकतांत्रिक देश के खरसवा, झारखण्ड में कपर्यू लगाया गया था

आजाद भारत में पहली बार स्वाघीनता दिवश के 133 दिन बाद इस लोकतांत्रिक देश के खरसवा , झारखण्ड में कपर्यू लगाया गया था

25दिसम्बर 1947 को चंद्रपुर जोजोडीह में नदी किनारे एक सभा आसोजन कि गई जिसमें तय किया गया कि सिंहभूम को उडीसा राज्य में न रखा जय बल्की अलग झारखण्ड राज्य के रूप में यह हो । 1 जनवरी 1948 को खरंसवा हाट मैदान में विरोध स्वरूप किया जाने का पिर्णय लिया गया। उसी दिन गुरूवार हाट -बाजार का भी दिन था । आस पास के महिलाए बाजार करने के लिए आई थी। बच्चों एवं पुरूषों के हाथो में पारम्नरिक तीर धनुष थे। सभी नारे लगासे जा रहे थै और आजादी के गीतगाये जा रहे थे। इधर उड़ीसा राज्य प्रशासन मुख्य सड़कों से न होकर अंधेरे में 18 दिसम्बर 1947 को ही शस्त्र बलो की तीन कंपनियां लेकर खंरसवा मिडिल स्कूल पहुॅचा हुई थी।आजदी के मतवाले इन बातो से बेखबर अपनी तैयारी में लगंे थे। सभी ’जय झारखण्ड ’ का नारा लगाते हुए जा रहे थे।


झारखण्ड आबुवः उड़ीसा जारी कबुवः रोटी पकौड़ी तेल में , विजय पाणी जेल में।
सुबह राज्य के मुख्य सड़को से जुलूस निकला था इसके बाद कुछ नेतागण खंरसवां राजा के तहल में जा कर उनसे भेट किएतो उन्होने कहा भारत सरकार से बातचीत करेगें। सभा दो बजे दिन से चार बजे दिन सभा भंग किया गया एवं सभी को अपने अपने धर जाने को कहा गया। सभी अपने अपने ध की ओर चल दिये। उसी के आधे धांटे के आद बिना किसी चेतापनी सुरू हंइ नृशंस गोली कांड। आधे धांटे तक गोलियों की बौछार होता रहा। भागते हुए लोगो पर भी गोलिया चली । हजारो स्त्री- पुरूषव मासुम बच्चों को मौत का धाट उतारे

गये।

प्रवीन कुमार

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